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गुमराह करने वाले न्यूज़ चैनलों के ख़िलाफ़ करें शिकायत घृणास्पद या उत्तेजक विषय प्रसारित करने वाले समाचार चैनलों के ख़िलाफ़ शिकायत कैसे दर्ज करें

05, Dec 2018 | Abeera Dubey

जनता से जुड़े मुद्दों पर निष्पक्ष, सच उजागर करते और ईमानदार नज़रिए से लबरेज़ कार्यक्रमों का लगातार कम होता जाना, अब समाचार चैनलों में परिपाटी सा बन गया है. नज़रिए और नीयत की ये गिरावट कोई नई बात भी नहीं है. कुछ समाचार चैनल नियमित रूप से ऐसी सामग्रियों का प्रसारण कर रहे हैं जो भड़काऊ होती हैं, पक्षपातपूर्ण होती हैं और जिनमें लोगों का पक्ष तो ग़ायब ही होता है. न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) के दिशानिर्देशों के अनुसार इन समाचार चैनलों को अपने प्रसारण में एक निश्चित और तय मानक का पालन करना आवश्यक है. NBA ने ब्रॉडकास्ट के बारे में शिकायतों पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए एक स्वतंत्र निकाय (NBA से) न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBSA) की स्थापना की है.

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन

वर्ष 2008 में स्थापित न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन भारत में विभिन्न समाचार प्रसारकों का एक निजी संगठन है. समाचार और वर्तमान मामलों के चैनलों को प्रभावित करने वाले नैतिक, परिचालन, नियामक, तकनीकी और कानूनी मुद्दों से निपटने के लिए एसोसिएशन की स्थापना की गई थी. वर्तमान में एनबीए में 21 सदस्य नेटवर्क हैं, जो 100 से अधिक समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करते हैं. मुख्यधारा के हिन्दी और अंग्रेज़ी समाचार चैनलों को कवर करने के अलावा क्षेत्रीय समाचार चैनलों की एक विस्तृत श्रृंखला भी इसमें शामिल है. एनबीए की 10वीं वार्षिक रिपोर्ट (2016-17) के मुताबिक, एनबीए की सदस्यता वाले चैनल देश में दर्शकों की 80% आबादी को प्रभावित करते हैं.

CJP हमेशा से नफ़रत फैलाने वाले लोगों और संगठनों पर निगरानी रखने, उनके द्वारा फैलाई नफ़रत के प्रति जागरूकता बनाने और उसका पर्दाफ़ाश करके न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से उसकी रोकथाम के लिए प्रतिबद्ध रहा है, और आगे भी रहेगा. हमारे साथ जुड़कर, भड़काऊ भाषणों के ख़िलाफ़ चल रही हमारी मुहीम के बारे में आप और अधिक जान पाएंगे. नफ़रत के ख़िलाफ़ हमारे अभियान का समर्थन करने के लिए कृप्या हमें सहायता प्रदान करें.

एनबीए के सदस्यों द्वारा उनकी स्वेच्छा से, एक ज़िम्मेदार प्रसारण सामग्री का स्तर तय करने के लिए कुछ मापदण्ड निर्धारित किये गए हैं.

एक समाचार चैनल को रिपोर्टिंग करते हुए निम्न मानकों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है:

1.)    पत्रकारिता करते वक्त निष्पक्षता और विषयवस्तु के निर्धारण में सावधानी बरतना

2.)    निष्पक्ष (तटस्थ) बने रहना

3.)    किसी क्राईम की रिपोर्टिंग करते समय इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाए कि उसमें उस अपराध या हिंसा का महिमामंडन न किया जाए

4.)    महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा और अपराध पर रिपोर्टिंग करते समय बहुत अक्लमंदी और अपार संयम से काम लिया जाए

5.)    सेक्स और नग्नता से दूर

6.)    गोपनीयता सुनिश्चित करें

7.)    सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय सुरक्षा ख़तरे में न आए

8.)    अंधविश्वास और गूढ़ता की वकालत या उसे प्रोत्साहित करने से बचना

9.)    सुनिश्चित करें कि स्टिंग ऑपरेशंस ज़िम्मेदार प्रवृत्ति के हों

समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण

न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र निकाय है. ब्रॉडकास्ट के बारे में शिकायतों पर विचार करना और निर्णय लेना इसका प्रमुख कार्य है. किसी भी समाचार चैनल के प्रसारण के ख़िलाफ़ कोई भी शिकायत हो तो उसे एनबीएसए के समक्ष रखा जा सक्ता है.

उपर्युक्त मानकों पर खरा न उतर पाने वाले कार्यक्रमों को प्रसारित करने की धटनाएं समाचार चैनलों पर लगातार देखने को मिल रही हैं. इन अनुचित समाचार सामग्रियों के प्रसारण के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करने के तरीके पर एक मार्गदर्शिका भी तय की गई है.

शिकायत कौन कर सकता है?

कोई भी पीड़ित एनबीए के सदस्य या सहयोगी सदस्य के खिलाफ राष्ट्रीय प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) को शिकायत कर सकता है.

एनबीएसए के समक्ष शिकायत दर्ज करने से पहले की प्रक्रिया

एनबीएसए के समक्ष शिकायत दर्ज करने से पहले, शिकायतकर्ता को संबंधित प्रसारक से औपचारिक शिकायत करनी होती है.

की जा रही शिकायत, संबंधित ब्रॉडकास्टर के कानूनी प्रमुख को दी जानी होती है, जिसका विशिष्ट पदनाम, पता और अन्य पत्राचार विवरण एनबीए और संबंधित ब्रॉडकास्टर की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है.

ऐसी शिकायत सम्बंधित कार्यक्रम के प्रसारण के सात दिनों के भीतर की जानी चाहिए.

एनबीएसए के समक्ष शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

1.)    संबंधित ब्रॉडकास्टर को शिकायत करने के बाद, शिकायतकर्ता को ब्रॉडकास्टर से उत्तर प्राप्त करने के लिए 7 दिनों की अवधि तक प्रतीक्षा करनी होगी.

2.)    यदि ब्रॉडकास्टर दी गई समय सीमा के भीतर जवाब नहीं देता है, तो उपरोक्त अवधि की समाप्ति से 14 दिनों के भीतर एनबीएसए को शिकायत की जा सकती है.

3.)    यदि ब्रॉडकास्टर दिए गए समय में शिकायत का जवाब दे देता है परन्तु शिकायतकर्ता उस उत्तर से संतुष्ट नहीं होता है, तो शिकायत का जवाब प्राप्त होने की तारीख से 14 दिनों के भीतर एनबीएसए को शिकायत की जा सकती है.

एनबीएसए को शिकायत करने के लिए आवश्यक तथ्य

एनबीएसए को शिकायत करते समय शिकायत में निम्नलिखित तथ्यों का मौजूद होना आवश्यक है:

1.) ब्रॉडकास्टर को भेजी गई शिकायत की प्रति

2.) ब्रॉडकास्टर से प्राप्त उत्तर की प्रति

3.) ब्रॉडकास्टर का नाम और पता

4.) समाचार सामग्री या कार्यक्रम का विवरण

5.) प्रसारण की तारीख, समय और चैनल

6.) शिकायतकर्ता के बारे में संक्षिप्त सारांश क्या है, विशेष रूप से संहिता का क्या उल्लंघन किया गया है

7.) इसका समर्थन करने के लिए सभी प्रासंगिक दस्तावेज

  • शिकायतकर्ताओं की सहायता के लिए एनबीए वेबसाइट पर एक ऑनलाइन ‘शिकायत फॉर्म’ भी उपलब्ध है. शिकायतकर्ता को इस फॉर्म को भर कर एनबीएसए को भेज देना होता है, जिससे उसकी शिकायत वहां पहुंच जाती है.

एनबीएसए द्वारा शिकायत निवारण के उदाहरण

कई व्यक्तियों ने शिकायत निवारण के इस उपाय का सहारा लिया है. प्रसिद्ध कवि और वैज्ञानिक गौहर रज़ा ने 2016 में ज़ी न्यूज़ के ख़िलाफ़ अपनी कविताओं के साथ को छेड़छाड़ करने, झूठे और ग़लत मतलब के साथ प्रस्तुत करने की शिकायत दर्ज कराई थी. एनबीएसए ने ज़ी न्यूज को आदेश दिया कि वो गौहर रज़ा को 1 लाख रुपये का भुगतान करे और प्राइम टाइम के दौरान इस सम्बन्ध में सार्वजनिक माफ़ी का भी प्रसारण करे.

एक अन्य मामले में, एनबीएसए ने सुनंदा पुष्कर के मृत शरीर को बार-बार दिखाने के लिए रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ सुओ मोटो कार्रवाई की थी. एनबीएसए का मानना था कि ब्रॉडकास्टर ने दिनांक 10.2.2009 के अपने रिपोर्टिंग कवरेज में उन विशिष्ट दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जिसमें कहा गया है कि “मृतकों का सम्मान किया जाना चाहिए. मृत या विकृत निकायों के क्लोज-अप को नहीं दिखाया जाना चाहिए… “एनबीएसए ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इस टिप्पणी के साथ ख़त्म किया कि भविष्य में ब्रॉडकास्टर के द्वारा यदि ऐसा कोई उल्लंघन दोहराया जाएगा तो उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

घृणास्पद और उत्तेजनात्मक भाषण के ख़िलाफ़ भी शिकायत की जा सकती है. यदि कोई प्रसारण सामग्री एनबीए द्वारा तय दिशानिर्देशों के ख़िलाफ़ बात करती है तो लोगों को उनके विरूद्ध अवश्य ही अभियान चलाना चाहिए.

 

अनुवाद सौजन्य – अनुज श्रीवास्तव

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