Menu

Citizens for Justice and Peace

CJP इन एक्शन – प्रभावित परिवारों को सुनवाई के दौरान मिला सहारा असम में किस प्रकार CJP के वालंटियर्स NRC प्रभावित लोगों की सुनवाई प्रक्रिया में मदद कर रहे हैं

21, Jun 2019 | CJP Team

CJP कम्युनिटी वालंटियर्स (CVs) और डिस्ट्रिक्ट वॉलंटियर मोटिवेटर (DVM) असम में NRC की अंतिम सूची जारी होने से पहले प्रक्रिया के अंतिम चरण के दौरान लोगों को दावे और आपत्तियों की सुनवाई के लिए दिन-रात मदद कर रहे हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सुनवाई 6 मई को शुरू हुई, NRC की अंतिम सूची 31 जुलाई से पहले ही प्रकाशित होनी है। समय की कमी को समझते हुए असम में हमारी टीम ने प्रभावित  परिवारों की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कमर कस ली है, जिससे किसी भी असहाय परिवार के साथ कोई अन्याय न हो सके।

NRC ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया था, जिनमें से अधिकतर लोग सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों से हैं। गुजरात में कानूनी सहायता प्रदान करने के अपने पुराने अनुभवों से प्रेरित होकर CJP ने अब NRC प्रभावित लोगों की मदद के लिए कदम उठाया है। CJP परिणाम उन्मुख वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि बुरी तरह प्रभावित जिलों में से 18 जिलों के प्रभावित लोगों को अपना दावा दाखिल करते समय उचित अवसर प्राप्त हो सके। CJP के इस प्रयास में आपके योगदान से कानूनी टीम की लागत, यात्रा,प्रलेखीकरण और तकनीकी खर्चों का भुकतान किया जाएगा। कृप्या प्रभावित लोगों  की मदद के लिए यहाँ योगदान करें।

CJP की टीम के सराहनीय प्रयासों के कुछ उदाहरण

बारपेटा जिले के DVM, मजीदुल इस्लाम ने, हरिपुर गांव के एक गरीब परिवार की बड़े ही कठिन समय में मदद की। परिवार के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हजरत अली (91), जो देखने में असक्षम हैं, और उनके पर-पोते सिलिम मिया (7) को सभी वैध दस्तावेजों के बाद भी आपत्ति नोटिस मिली थी। जिसके बाद सुनवाई के दौरान निपटान अधीकारी (DO) ने अन्य कानूनी दस्तावेजों की मांग की, जिसे अली जब पूरा नहीं कर पाए तो DO ने सुनवाई प्रक्रिया ही रोक दी। लेकिन CJP के मजीदुल इस्लाम के हस्तक्षेप के बाद 20 मई को पुनः सुनवाई आरंभ हुई। बता दें कि मजीदुल इस्लाम की याचिका भले ही DO ने स्वीकार कर ली है, लेकिन अली को अन्य कानूनी दस्तावेज़ जमा करने के लिए मात्र एक दिन का समय दिया गया। जिससे यह साफ हो जाता है कि असम के लोगों को किस तरह प्रताड़ित किया जा रहा है।

ऐसे ही एक और मामले में रोहिमा खातुन नाम की एक महिला को सुनवाई के लिए बिना कोई नोटिस दिए, उसे सुनवाई के लिए अनुपस्थित के रूप में चिह्नित कर दिया गया। जिसके बाद रोहिमा खातुन होजई जिले के DVM, ज़मीर उद्दीन तालुकदार के पास पहुंची। जिस पर ज़मीर उद्दीन ने तुरंत एक्शन लेते हुए महिला के साथ सर्कल अधिकारी के समक्ष जा कर उन्हें पूरे मामले की सच्चाई बताई और महिला  के लिए सुनवाई प्रक्रिया सुनिश्चित करवाई। इस तरह CJP के ज़मीर उद्दीन के माध्यम से रोहिमा खातुन के संभावित उत्पीड़न को टाला जा सका।

CJP के DVM, ज़मीर उद्दीन तालुकदार के होजाई जिले के डोबोका में भी एक परिवार की मदद की, जिनके तीन सदस्यों को एक ही तारीख पर तीन अलग-अलग स्थानों पर सुनवाई के लिए नोटिस मिला था। जिसके बाद परिवार के एक सदस्य (मानिरुद्दीन) द्वारा ज़मीर उद्दीन से मदद मांगने पर वे डोबोका के सर्कल ऑफिस पहुंचे, वहां उन्होंने सर्कल अधिकारी को मामले की गंभीरता और एक ही दिन में तीन जगह पर होने वाली बेतुकी सुनवाई से अवगत कराया और अलग-अलग तारीख पर सुनवाई सुनिश्चित करावा कर समस्या का समाधान किया।

चिरांग जिले में CJP की एक्शन टीम को पता चला कि वहां DO द्वारा भेदभावपूर्ण रूप से आदेश जारी करने के साथ बेवजह लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है। मामले की गंभीरता को समझते हुए कुछ अन्य संगठनों जैसे AAMSU, ABBYSF, AABYSF, ABMSU के साथ मिलकर CJP ने जिला प्रशासन से इसकी शिकायत की। जिसके फलस्वरूप बिजनी के सुनवाई केंद्र को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया और सभी मामलों को काजलगांव के केंद्र पर स्थानांतरित कर दिया गया।

कामरूप जिले के सेलुसूची गांव में 26 मई को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जहां दावे और आपत्ति की सुनवाई प्रक्रिया के दौरान बार-बार उत्पीड़न का शिकार होने के बाद अशरब अली (90) ने आत्महत्या कर ली। अशरब अली को सुनवाई का नोटिस 23 मई को मिला, घर से 100 किलोमीटर दूर सुनवाई केंद्र होने के बावजूद, जिले के DVM अनीश अहमद भुइयां उनके साथ सुनवाई प्रक्रिया में शामिल होने गए। सुनवाई के दौरान आपत्तिकर्ता अनुपस्थित था, जिस पर DO को पूर्व-पक्षीय आदेश जारी करना अनिवार्य था। परंतु अली के बायोमेट्रिक निशान ले लिए गए, जो कि सरासर अनुचित था।  इस से अशरब अली को लगा कि उसे डिटेंशन कैंप में क़ैद कर दिया जा सकता है। और इस खबर से हताश होकर अशरब अली ने आत्महत्या कर ली।

अगले ही दिन CJP के DVM अनीश अहमद भुइयां  ने जिले के गोरोमीरी सर्कल के पशु चिकित्सा अस्पताल परिसर में स्थित सुनवाई केंद्र की सुनवाई में भाग लिया। जहां उन्होंने संदिग्ध मतदाता (Doubtful Voter) के परिवार की मदद की। सुनवाई सुचारू रूप से सम्पन्न करवाने के लिए अनीश अहमद भुइयां  जी का बहुत–बहुत आभार।

 

अनुवाद सौजन्य – साक्षी मिश्रा

और पढ़िए –

असम में मुस्लिम परिवार पर हुआ हमला, CJP ने की रक्षा

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Go to Top