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Citizens for Justice and Peace

Migrant Workers

পরিযায়ীদের কথা : টিঙ্কু শেখ "অভাব না থাকলে, আমরা আমাদের জন্মভূমি ছেড়ে কেন গেলাম ?" পরিযায়ী শ্রমিক জিজ্ঞেস করলেন।

কোবিদ ১৯ লকডাউন এর মাঝে পরিযায়ী শ্রমিকদের চরম দুরবস্থা আমাদের সামনে রোজ ভেসে আসছে। ‘পরিযায়ী শ্রমিক’ এই শব্দর পেছনে একজন মানুষ রয়েছেন এবং সেই একজন মানুষ যখন তাঁর যাত্রা, দুরবস্থা, ছোট খাটো আনন্দ, ভয়. বেদনার ব্যাখ্যা করেন, তখন বোঝা যায় এই ভয়াবহ বিভীষিকার আসল চিত্র। এপ্রিল এ, CJP টিঙ্কু শেখ এবং আরো পাঁচজন পরিযায়ী শ্রমিকদের…

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मायग्रंट डायरीज: टिंकू शेख  “तशी गरज नसती तर आम्ही आमचं जन्माचं गाव सोडलं असतं का”, पश्चिम बंगालमधील स्थलांतरित मजूराचा प्रश्न.

कोविड-१९ च्या लॉकडाऊनमुळे उद्भवलेल्या परिस्थितीशी झगडत असलेल्या स्थलांतरित मजुरांच्या हृदयद्रावक संघर्षाची शोकांतिका सध्या आपल्या डोळ्यांसमोर उलगडत आहे. मात्र ‘स्थलांतरित मजूर’ या शब्दांमागे अनेक लोकांच्या अभूतपूर्व कहाण्या लपल्या आहेत. या कहाण्या आहेत रोजच्या आयुष्यातील लहान-मोठ्या संघर्षांच्या, शेकडो मैलांच्या प्रवासांच्या, आयुष्याला अर्थ देणाऱ्या छोट्या छोट्या आनंदांच्या आणि सातत्याने पिच्छा पुरवणार्‍या भीतीच्या. फक्त या शब्दामागे लपलेले हे तपशील…

संकट के इस दौर में सुप्रीम कोर्ट कहां है? संकट काल में संविधान और उसे लागू करने के तरीके कसौटी पर कसे जाते हैं. इसीलिए मौजूदा वक्त में सुप्रीम कोर्ट की नाकामी बड़े ही साफ तौर पर उभर आई है.

यह आलेख इस बारे में नहीं है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत की सुनवाई कितनी कारगर है. यह इस बारे में भी नहीं है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कितने जजों को बैठना चाहिए. इस आलेख में इस बात पर चर्चा करेंगे कि देश की ऊंची अदालतों खास कर सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 को लेकर…

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मायग्रंट डायरीज : टिंकू शेख पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर टिंकू शेख पूछते हैं, "अगर अभाव नहीं होता तो यूं काम के लिए अपना घर क्यों छोड़ते?"

कोरोनावायरस संक्रमण को काबू करने के लिए लगे लॉकडाउन ने पूरे देश में अफरातफरी मचा दी है. इस लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों कीजैसीदुर्दशा की है, उसके हृदय विदारक दृश्य पूरे देश में दिख रहे हैं. प्रवासी मजदूर शब्द में वे लाखों-करोड़ों लोग छिपे हुए हैं, जिनके पास लॉकडाउन के दौरान घर पहुंचने की जद्दोजहद से लेकर…

Hurdanand Behara

A call to our conscience From the Secretary's Desk

It’s the calls that keep coming… from Cuffe Parade to Antop Hill, from Wadala to Worli, from Kalbadevi, Dongri and Pydhonie. First for just basic decency and dignity of living; rations, food. Then desperation to get home, with the mess ups in Shramik trains, the vulnerability to touts, arduous is a word that does not…

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