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Citizens for Justice and Peace

Forest Rights Explainers

वनाधिकार क़ानून २००६ प्रशिक्षण सामुदायिक दावे और इन्हें दायर करने के अलग अलग चरण

CJP और AIUFWP द्वारा प्रस्तुत, यह वीडियो, वन अधिकार अधिनियम प्रशिक्षण के लिए है। इसका उद्देश्य वन श्रमिकों को और जमीनी स्तर पर वनाधिकार के लिए काम करने वालों को, सामुदायिक दावों के बारे में जानकारी देना है, ताकि FRA दो हज़ार छे को प्रभावी ढंग से पूरे देश में लागू किया जा सके। इस…

वनाधिकार क़ानून २००६ प्रशिक्षण भाग ३ सामुदायिक दावे और इन्हें दायर करने के अलग अलग चरण

CJP और AIUFWP द्वारा प्रस्तुत, यह पॉडकास्ट, वन अधिकार अधिनियम प्रशिक्षण के लिए है। इसका उद्देश्य वन श्रमिकों को और जमीनी स्तर पर वनाधिकार के लिए काम करने वालों को, सामुदायिक दावों के बारे में जानकारी देना है, ताकि FRA दो हज़ार छे को प्रभावी ढंग से पूरे देश में लागू किया जा सके। भाग…

वनाधिकार क़ानून २००६ प्रशिक्षण भाग २ पॉडकास्ट में समझें संविधान और वन अधिकार

CJP और AIUFWP द्वारा प्रस्तुत, यह पॉडकास्ट, वन अधिकार अधिनियम प्रशिक्षण के लिए है। इसका उद्देश्य वन श्रमिकों को और जमीनी स्तर पर वनाधिकार के लिए काम करने वालों को, सामुदायिक दावों के बारे में जानकारी देना है, ताकि FRA 2006 को प्रभावी ढंग से पूरे देश में लागू किया जा सके। भाग दो में जानी…

वनाधिकार क़ानून २००६ प्रशिक्षण भाग १ पॉडकास्ट में सुनिए FRA क़ानून बनाने की पृष्ठभूमि

CJP और AIUFWP द्वारा प्रस्तुत, यह पॉडकास्ट, वन अधिकार अधिनियम प्रशिक्षण के लिए है। इसका उद्देश्य वन श्रमिकों को और जमीनी स्तर पर वनाधिकार के लिए काम करने वालों को, सामुदायिक दावों के बारे में जानकारी देना है, ताकि FRA 2006 को प्रभावी ढंग से पूरे देश में लागू किया जा सके। भाग एक में सुनिए…

FRA, 2006 के तहत ऐसे जताई जाती है जमीन पर दावेदारी वनाधिकार कानून 2006 के तहत वन भूमि पर व्यक्तिगत या सामूहिक अधिकार की दावेदारी एक जटिल प्रक्रिया है

इस प्रस्तुति में हमने उन चीजों को तलाशा है, जिनकी वन भूमि पर रहने वाले लोगों को अपनी जमीन पर हक की दावेदारी के दौरान जरूरत होती है. हमने यह पता करने की कोशिश की है कि वनाधिकार कानून 2006 के तहत अपनी जमीन पर दावे के लिए किन चीजों की जरूरत पड़ती है? क्या…

In Pictures: A journey that explains how Land Claims are filed under FRA 2006 Filing community and individual forest rights claims is a tedious and onerous process

In this story we explore various elements required, the boxes that need to be ticked, before forest dwelling people can file claims for the rightful ownership of land under FRA, 2006. What exactly does it take to claim their lands? Is it just a question of completing a bunch of paperwork? What does the process entail?…

Forest Dwellers have no support from Gov’t in filing Land Claims: Roma CJP Secy Teesta Setalvad and AIUFWP Dy Gen. Secy Roma explore the complicated process of filing community forest rights claims and other related issues

In the second part of an exclusive conversation with CJP Secretary Teesta Setalvad, the deputy general secretary of All India Union of Forest Working People (AIUFWP) Roma Malik highlights the complex and tedious process of filing claims under the Scheduled Tribes and Other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2006. Under the Act,…

Attempt to weaken Forest Produce scheme

Deliberate Attempt to weaken Forest Produce scheme? Slow and certain moves to attack incomes and rights of forest dwellers

For the longest time, the lobby of contractors, bureaucrats, forest department officials and other traders have kept local forest dwellers away from their own work of labour, namely Minor Forest Produce or MFPs, giving them only wages for the work they would do to collect and process forest produce. The profit would inevitably be scooped…

UP’s Indomitable Van Tangias: Overcoming Marginalisation with Tenacity How unions pressurised CM Adityanath to recognise several villages as Revenue Villages

In the run up to the Lok Sabha polls, Uttar Pradesh (UP) Chief Minister Adityanath has reportedly “stepped up efforts to expand his influence in the most backward communities” living in the forest protected regions of the Eastern UP. This, the CM plans to do by granting revenue status to villages which will entitle them…

टांगिया, उत्तर प्रदेश के वनग्रामों को मिला राजस्व दर्जा देश के उन 20 लाख वनगांव परिवारों के संघर्ष की कहानी, जिनकी गिनती जनगणना में भी नहीं होती

मघ्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक आदि राज्यों को मिलाकर पूरे देश में लगभग 7000 ऐसे वनगांव मौज़ूद हैं जिनमें टांगिया वनमजदूरों के 20 लाख से भी ज़्यादा परिवार रहते हैं। टांगिया काश्तकारों को एक ऐसा व्यवसायिक जंगल उगाने की ज़िम्मेदारी दी गई जिसे बाद में काट लिया जाएगा। अब, जब ये काश्तकार प्रशासन को अनुपयोगी लग रहे हैं वो…

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