Menu

Citizens for Justice and Peace

मानवाधिकारों के संघर्ष में सोशल मीडिया का योगदान अपने अधिकारों के लिए जंग जारी रखिये

29, Dec 2017 | CJP Team

मानवाधिकारों का संघर्ष बहुत पुराना है, लेकिन सोशल मीडिया ने इसमें नई जान डाल दी है। आइये जानते हैं कि इस सन्दर्भ में प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ताओं कि क्या राय है।

 

नर्मदा बचाओ आन्दोलन तथा आदिवासियों के जल-जंगल-ज़मीन के लिए हो रहे कई संघर्षों से जुड़ी मेधा पाटकर जी का मनना है कि देश भर के मानव अधिकारों के उलंधन की खबर मुख्यपृष्ठ पर तो छपेगी ही नहीं।

 

भंवर मेघवंशी कहते हैं कि २०११ से ही उन्होंने अपने संगठन के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।

 

युवा नेता ऋचा सिंह मानती हैं कि सोशल मीडिया ने मानवाधिकार हनन के मुद्दों को उठाने के लिए एक अल्टेरनेट प्लेटफार्म दिया है।

 

दिलीप मंडल के मुताबिक इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने के बाद  कम्यूनिकेट करना आसान हो गया है।

Tags:

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Go to Top