यूँ बनती है नफ़रत की दीवार उमर ख़ालिद और जिग्नेश मेवाणी पर हुई एफ़आईआर और उससे जुड़ी नफ़रत भड़काने वाले ज़हरीले भाषणों की झड़ी का एक छोटा सा विवरण
13, Jan 2018 | CJP Team
2018 का पहला दिन और सैकड़ों की तादाद में भगवा झण्डे लिए समूह ने भीमा कोरेगाँव युद्ध स्मारक पर हमला बोल दिया. दलित, जो हर साल 1 जनवरी को भीमा कोरेगाँव युद्ध के शहीदों को याद करने जमा होते हैं, वे इसहिंसा से भौचक्के रह गए और खुद को बचाने का प्रयत्न करने लगे. उसके बाद के कुछ दिन अचानक भड़की हिंसा और प्रतिरोध के साक्षी बने. दलित कार्यकर्ता और नेता श्री प्रकाश आंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद का अह्वाहन कियाजिसके बाद आसपास के रहने वाले दलित समुदाय सड़कों पर निकल आए और अपना विरोध दर्ज करवाया. पुलिस जो अबतक 1 जनवरी भीमा कोरेगाँव हिंसा की मूक दर्शक बनी थी, बिना किसी चेतावनी के 3 जनवरी कोहरकत में आ गयी और भीड़ पर न केवल लाठी भांजी बल्कि गोलियां भी दागी. जिससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भी भड़क उठा. इसके बाद पुलिस ने 31 दिसंबर 2017 एल्गार परिषद्, शनिवारवाड़ा, पुणे में वक्ता के तौरपर आये उमर खालिद और जिग्नेश मेवाणी पर धारा 153A, 505 and 117 के तहत एफ़ आई आर दर्ज कर ली.
इन दोनों प्रवक्ताओं पर भड़काऊ भाषण देकर दंगाइयों को उकसाने का आरोप लगाया गया. उनके भाषण के कुछ हिस्सों को एफ़आईआर में वर्णित किया गया जैसे…”नए-पेशवाई राज्य का अंत भीमा कोरेगाँव के शहीदों कोश्रद्धांजलि है” (अभ्युक्त 1 उमर खालिद) “जाति और धर्म का अंत सड़क की लड़ाई द्वारा संभव है…”
इस वातावरण में जहाँ भीमा कोरेगाँव हिंसा के मुख्य आरोपी मिलिंद एक्बोटे और मनोहर भिंडे आज़ाद घूम रहे हैं, इस पूरी हुई हिंसा और इसके प्रतिरोध का ठीकरा उमर खालिद और जिग्नेश के भाषणों पर फोड़ा जा रहा है.राज्य सरकार भगवा झण्डे के तले हुई हिंसा का मुख्य कारण जानने की कोशिश करने के बजाये दंगाइयों के खिलाफ कोई क़दम न उठाकर उनके समर्थन में नज़र आ रही है.
ज़रूरी है कि इस सन्दर्भ में हम कुछ प्रसिद्ध दक्षिणपंथी नेताओं द्वारा दिए गए भाषणों पर गौर करें, ताकि नफ़रत भड़काने वाली बातें क्या होती हैं समझ सकें.
नफरत भरे भड़काऊ भाषण और इसके प्रभाव
सांप्रदायिक फ़साद के दस्तावेज़ और अभिलेखों के अध्ययन से ये स्पष्ट होता है कि घृणास्पद भाषणों के शातिराना तौर पर अनियंत्रित प्रसार से लक्षित जन हिंसा भड़काई जाती हैं। सीजेपी नफरत फैलाने वाले भाषण के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रही है, बाक़ायदा केस दाखिल करने से लेकर कानून लागू करने के लिए हम नागरिकों को भी प्रोत्साहित करते आये हैं, ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर दबाव बनाया जा सके और कानून लागू हो।
अगर आप भड़काऊ भाषण के खिलाफ़ एफ़ आई आर दर्ज कराना चाहते हैं तो इस प्रतिरूप का उपयोग कर सकते हैं .
नफ़रत हर बार हर वक़्त
सितंबर 2002: गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने, बेचरजी में चुनाव रैली में, 9 सितंबर, 2002 को एक भाषण दिया जिसमें 1.5 लाख मुसलमानों के लिए निजी तौर पर राहत शिविरों का हवाला दिया गया था जो किउनकी देखरेख में 2002 के मुसलमान विरोधी दंगों के दौरान विस्थापित हो गए थे, हिंदुत्व के प्रचार को दोहराते हुए कि सभी मुस्लिम पुरूष चार पत्नियों से शादी करते हैं और 25 बच्चे पैदा करते हैं. “क्या हम जाकर राहत शिविरचलाते हैं? क्या हम बाल उत्पादन केंद्र खोलेंगे? हम परिवार नियोजन को मजबूती से लागू करना चाहते हैं हम पांच, हमारे पच्चीस (हम पांच, हमारे 25) (हंसते हुए) इस विकास से किसका लाभ होगा? क्या गुजरात में परिवारनियोजन जरूरी नहीं है?”
सितंबर 2013: सितंबर में दिए गए एक भाषण में, मोदी ने कहा, “यदि एक कुत्ता दुर्घटना में मर जाता है, तो हम दर्द महसूस करते हैं” गुजरात के दंगों में मारे गए मुसलमानों का कुत्ते के बच्चों के संदर्भ में हवाला दिया.
2009, योगी आदित्यनाथ: 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान, योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के उम्मीदवार रमाकांत यादव के लिए प्रचार के दौरान कहा, “यदि वे एक हिंदू लड़की से विवाह करते हैं, तो हम कम से कम 100मुस्लिम लड़कियों को हिन्दू बना देंगे.”
2014 में, जब वीडियो वईरल हो गया और लोग यह जानना चाहते थे कि यह सचमुच प्रमाणिक है, तो उन्होंने जवाब दिया, “किसी भी वीडियो की प्रामाणिकता का पता लगाने के लिए उसे फॉरेंसिक जांच के माध्यम से जानाचाहिए”
2014: योगी ने अपनी वेबसाइट, yogiadityanath.com पर प्रकाशित एक निबंध में महिलाओं के लिए आरक्षण के खिलाफ एक विस्तृत तर्क दिया, उन्होंने कहा, “महिलाएं जीवन के हर पहलू में आगे बढ़ रही हैं यदि यहप्राकृतिक चीजें है, तो चीजों को अनावश्यक रूप से [आरक्षण के साथ] करने की क्या जरूरत है?” उन्होंने आगे कहा, “महिलाओं को हमेशा संरक्षित होना चाहिए. ऊर्जा को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो वे बर्बाद हो सकतीहै”
सितंबर 2014: अप्रैल 2014 में यूपी में लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान, अमित शाह ने दर्शकों को मुजफ्फरनगर में जो कुछ हुआ था, उस पर कथित तौर पर बदला लेने के लिए अपील की, “कोई व्यक्ति भोजन या नींद के बिना रह सकता है. जब उसे प्यास और भूख लगी हो तो भी वह जी सकता है. लेकिन जब उनका अपमान किया जाता है, तो वह नहीं रह सकता. अपमान का बदला लिया जाना चाहिए” तत्कालीन चुनाव आयोग द्वारा उन परएक छोटा प्रतिबंध लगाया गया था, उन्हें प्रचार करने से रोक दिया गया था, लेकिन इसके तुरंत बाद प्रतिबंध हटा दिया गया. हालांकि एक एफ़आईआर भी दर्ज की गई थी, न तो यह मामले में आगे जांच हुई और न ही लोगों कोउकसाने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया.
दिसंबर 2014: कोलकाता में दिसंबर 2014 में विराट हिंदू सम्मेलन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “दिल्ली के लोगों को यह तय करना होगा कि क्या वे रामजादा की सरकार चाहते हैं (राम के अनुयायी) याहरामजादा की.”
दिसंबर 2014: 2014 में, विदर्भ में किसानों की आत्महत्याओं लगातार बढ़ रही थी, भाजपा सांसद संजय धोत्रे ने कहा, “इन किसानों को स्वयं के लिए प्रबंद करना होगा. यदि फसल खराब हो जाती है, तो उन्हें पता करना होगा किक्या करना है. और यदि वे मरते हैं, तो उन्हें मरने दिया जाये.”
24 अगस्त 2015: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक रैली में, यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी ने कहा था, “उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों में हिंदू लड़कियों कहीं भी जा सकती है, लेकिन गोरखपुर में, मुस्लिम लड़कियां हिंदुओं केघर लायी जाती है” श्रोताओं ने जयकार करके इस टिप्पणी का स्वागत किया.
27 अगस्त, 2015: एक “विराट चेतना रैली” नामक रैली में, हिंदुत्व समूहों के समर्थकों ने नफ़रत से भरी भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि, “जब भारत एक हिंदू राष्ट्र बन जायेगा, तब मुसलमान द्वितीय श्रेणी के नागरिक बनजाएंगे. ऐसा हो जाने के बाद मतदान अधिकार उनसे छीन लिया जाएगा (वीडियो नीचे देखें, 1:50 मिनट).” इस वीडियो में, हिन्दू युवा वाहिनी संगठन के सदस्यों को देखा जा सकता है जो हाथों में हथियार लिए हुए ग्रामीणों कोडरा रहे हैं.
3:08 मिनट के पश्चात, एक और मंत्री को, उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी की उपस्थिति में कहते सुना जा सकता है, आज की ज़रुरत है कि मुसलमान महिलाओं को उनकी कब्र से निकालकर उनका बलात्कार करनाचाहिए.” कई अन्य समाचार-पत्रों ने इस खबर को छापा.
नवंबर, 2015: एक और रैली में बोलते हुए, योगी आदित्यनाथ ने कहा, “हमें हमारी ताकत दिखाने की आवश्यकता है, बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी, आप देखते रहिये.” जताते हुए कि बकरे की नियति है काटे जाना,एक मुस्लिम महिला का भी यही अंत होगा.
15 फरवरी 2016: न्यूज एक्स के तत्कालीन टीवी एंकर, राहुल शिवशंकर, उमर खालिद, जेएनयू के पूर्व छात्र के खिलाफ नफ़रत फैलाने के लिए, जो राजद्रोह के झूठे गढ़े हुए आरोप में गिरफ्तार थे, कहा था कि, “उमर खालिदजैश से सहानुभूति रखते है. उनके कश्मीरी अलगाववादियों के साथ संबंध हैं और उन्होंने इसलिए जैश के पक्ष में बात की है. जैश पठानकोट में भारतीय को निशाना बनाने वाला संगठन है.” इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगायाकि उमर ने अन्य छात्रों के साथ, जिसमें कश्मीरी छात्र शामिल हैं, जेएनयू कैंपस में उस दिन “घुसपैठ” की थी जब अफजल गुरु को मौत की सजा के खिलाफ विरोध की योजना बनाई गयी थी. उन्होंने कहा कि उमर खलिदपाकिस्तान दो बार यात्रा कर चुका है. ये सभी दावे झूठे साबित हुए क्योंकि उमर का पासपोर्ट ही नहीं है और यह उनके खिलाफ नफ़रत फैलाने का प्रयास था.
अप्रैल, 2016: एक भड़काऊ भाषण में बाबा रामदेव ने कहा, “अरे इस देश में कानून हैं, नहीं तो तेरी एक की क्या, हम लाखों की गर्दन काट सकते हैं. (एक व्यक्ति जो टोपी पहन कर खड़ा था और कहने लगा कि वह ‘भारतमाता की जय’ नहीं कहेगा यहां तक कि अगर आप उसको मार देते हैं), तो देखो, इस देश में कानून है, अन्यथा एक की क्या, हम लाखों के सर काट सकते हैं. ‘भारत माता की जय’ का नारा न लगाने वालों पर नाराज़गी दर्शाते हुएयह बयान दिया.
16 अक्तूबर, 2017: हाल ही में भाजपा के विधायक संगीत सोम पर फेसबुक पर एक भड़काऊ वीडियो पोस्ट करने का आरोप लगा था, जिसने मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा को शुरू किया था और 62 लोगों की जान चलीगयीं थी. उन्होंने कहा, “कई लोग उदास थे जब ताजमहल को पर्यटन पुस्तिका से हटा दिया गया था, हम किस इतिहास के बारे में बात कर रहे हैं? इतिहास जिसमें ताज के निर्माता ने अपने पिता को ही कैद कर लिया था?इतिहास जिसमें ताज के निर्माता ने उत्तर प्रदेश और भारत से हिंदुओं को खत्म करने के लिए काम किया था? यदि इस तरह के लोगों को इतिहास में जगह दी गई है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.” उन्होंने कहा था कि भाजपा औरंगजेब,अकबर या बाबर जैसे “धब्बों” को हटाने और भारतीय पाठ पुस्तकों में राम, कृष्ण और शिवाजी को वापस लाने के लिए काम कर रही है.
दिसंबर, 2017: गुजरात चुनावों के ठीक पहले, भाजपा संगठनों ने यह कहना शुरू कर दिया कि जिग्नेश मेवाणी जिहादी संगठनों से धन प्राप्त कर रहे थे और उनका संगठन पीएफआई जिहादी है.
दिसंबर, 2017: एक भाषण देने के दौरान, तेलंगाना के बीजेपी मंत्री राजा सिंह ने तलवार निकालकर कहा हिंदुओं को अपने घरों में तलवार रखनी चाहिए. हालांकि उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, वे इस तरह की टिप्पणियांधड़ल्ले से करते रहते हैं.
इन बयानों से, निष्कर्ष पर आना आसान है कि मुसलमानों के प्रति किस तरह के प्रतिगामी विचारों को समाज में स्वीकृति मिलती जा रही है. जहाँ एक तरफ मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी के नागरिक कहा जा रहा है वहीं मृतमुस्लिम महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया है. पर भड़काऊ भाषण देने में मुस्लिम नेता भी पीछे नहीं हैं. 2012 में Youtube पर रिलीज़ हुए एक भड़काऊ भाषण में अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा, “पंद्रह मिनट के लिए पुलिस को हटा लो बता देंगे कि किसमें हिम्मत है कौन ताक़तवर है!”
अब चलिए , जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद दोनों के भाषणों को भी परखते हैं और देखते हैं कि उनके भाषणों को ‘भड़काऊ भाषण ‘ के रूप में कैसे देखा जा सकता है?
एलगार परिषद में मेवानी ने क्या कहा?
2:40 “गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान, श्री मोदी ने ‘कर्मयोगी’ नामक एक पुस्तक लिखी थी. पुस्तक में उन्होंने उल्लेख किया है कि सफाई कर्मचारी और क्लीनर, अपनी नौकरी करते समय आध्यात्मिक खुशी का अनुभवकरते हैं. यह नव-पेशवाई है यही कारण है कि, भीमा कोरेगांव के शहीदों को याद करते हुए, मैं प्रधान मंत्री को पुणे आने के लिए अपील करता हूं और गटर से उतर कर आध्यात्मिक आनंद को महसूस करने का न्यौता देता हूँ.
3:50 “जब इस देश के गरीब लोग “रोटी, कपड़ा, मकान” के मुद्दों पर बात करते हैं, तब आप (संघी दल) घर वापसी, लव जेहाद और गौ माता के बारे में बात करते हैं.
4:25 “सड़कों पर लोगों के आंदोलनों और हमारे संघर्षों के द्वारा हमने उनके आत्मविश्वास को तोड़ दिया है और यह सुनिश्चित किया है कि उन्हें 150 सीटों के बजाय 99 सीटों पर संतोष करना पड़े.(गुजरात चुनावों का जिक्र)
6:52 “ब्राह्मण केवल एकमात्र ताकत नहीं है जो भगवा विचारधारा से जुड़ी है, वास्तव में अनिल और मुकेश अंबानी सबसे बड़ी ब्राह्मण्यवादी शक्तियां हैं, जबकि अंबानी, अडानी और एस्सार अन्य विरोधी ताक़तें हैं. 1938 में रेलवेश्रमिकों द्वारा आयोजित मनमाड सत्याग्रह के दौरान, बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा था, देश के कार्यबल और दलितों का सबसे बड़ा दुश्मन ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद है.”
9:54 “अगर इस देश में क्रांति होगी, तो यह सड़कों पर संघर्ष के माध्यम से होगी.”
14:03 “जाति का विनाश सड़कों पर संघर्ष के माध्यम से ही होगा. विभिन्न वर्गों के बीच समानता केवल सड़कों पर संघर्ष के माध्यम से ही स्थापित की जाएगी.”
15:21 “अलग-अलग विचारों, विचारधाराओं और पृष्ठभूमि के सभी लोगों को एक मंच पर एक साथ आने की जरूरत है. क्योंकि हेगडे ने कहा है कि लोकतंत्र को समाप्त करना चाहिए और संविधान में संशोधन करना चाहिए.
एलगर परिषद में उमर खालिद का भाषण
5:05 “मतभेद और विरोधाभास के समय, उनकी विचारधारा में कमजोर लोग डाभोलकर, पनसारे और गौरी को मारते हैं. यह उनकी कमजोरी दर्शाता है.”
6:09 “हम डाभोलकर, पनसारे, गौरी लंकेश, अख़्लाख, पहलू खान, कलबुर्गी, रोहित वेमूला और जो सभी मारे गए हैं, उनकी हत्या के लिए जवाबदेही मांगने आए हैं”
6:20 “हम ब्रिटिश साम्राज्य के शासन का जश्न नहीं मना रहे हैं… वे कहते हैं कि भीमा कोरेगांव एक राष्ट्र विरोधी गतिविधि है. भीमा कोरेगांव के शहीदों को बाबासाहेब अंबेडकर ने सम्मानित किया था. आपने उन्हें क्या बुलायाहोगा? मुझे पूरा यकीन है कि यदि बाबासाहेब अंबेडकर आज जीवित होते, तो संघी बलों ने उन्हें भी राष्ट्र विरोधी के रूप में संबोधित करते.”
8:22 “जब तक हम जातिवाद को खत्म नहीं करते हैं, तब तक हम संघ की शक्तियों को नहीं हरा सकते हैं”
9:01 “हम सिर्फ पाकिस्तान के साथ सीमाओं को साझा नहीं करते, लेकिन इस देश के भीतर भी सीमाएं हैं. इस देश के प्रत्येक गांव को इन सीमाओं ने दो हिस्सों में विभाजित किया है. एक वह जगह है जहां ब्राह्मणिक बल रहतेहैं, और दूसरा जहां दलित, आदिवासियों, मुसलमान हैं.”
12:25 “मोदी साहेब बड़ी चीजों के बारे में बात करते हैं वह कहते हैं, हम परमाणु बम रखते हैं. आप परमाणु बम से लैस हो सकते हैं, लेकिन आज तक, आपके पास सीवेज को साफ करने की तकनीक नहीं है.”
16:02 “क्या मुसलमान भारत में असमानता और जाति व्यवस्था की परंपरा लाए थे? या यह एक मनुवादी समस्या का नतीजा है? मोदी साहब सब कुछ सांप्रदायिक बनाना चाहते हैं. यही कारण है कि वे मनु की विचारधारा मेंजाति व्यवस्था की जड़ें तलाशने की कोशिश करने के बजाय मुगलों में करते हैं.”
16:20: “मुसलमानों को बताया जाता है कि वे बाबर के बच्चे हैं और उन्होंने राम मंदिर को नष्ट कर दिया है. अन्य धर्म इस देश में तलवार के जोर पर नहीं फैलाए गए थे, बल्कि जिस कारणवश बौद्ध धर्म और सिख धर्म फैला, वहकुछ और नहीं बल्कि मनुवाद है”
हम अपने पाठकों को अपने निष्कर्षों पर आने के लिए छोड़ देते हैं ताकि वे स्वयं समझ लें कि इनमें से नफ़रत को उत्तेजित करने के लिए किसने क्या कहा है, और किस प्रकार जो युवा देश में बदलाव लाने की कोशिश कररहे उन्हें झूठी साजिशों से फंसाया जा रहा है.
अनुवाद – सदफ़ जाफ़र
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