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Citizens for Justice and Peace

गुजरात पुलिस द्वारा तीस्ता सेतलवाद और जावेद आनंद को लगातार जेल भेजने की कोशिश निंदनीय : CJP मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अधिकार खतरे में, आइये इस अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाएं

25, May 2018 | CJP Team

तीस्ता सेतलवाद और जावेद आनंद जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को झूठे केसों में फ़सा कर उन्हें किसी भी तरह जेल में डालने के गुजरात पुलिस के लगातार प्रयास से CJP स्तब्ध है और त्रस्त भी. हालाँकि बॉम्बे हाई कोर्ट के पारगमन ज़मानत दिए जाने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत की अवधी मई 31 तक बढ़ने के बावजूद, सत्र न्यायलय द्वारा उनकी अग्रिम ज़मानत को नामंज़ूर करना न सिर्फ चिंताजनक है, बल्कि इस वजह से उनकी जान को भी खतरा हो सकता है.

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आखिर तीस्ता सेतलवाद और जावेद आनंद को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

तीस्ता सेतलवाद एक पत्रकार और शिक्षाविद् होने के साथ-साथ CJP (सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस) की सचिव भी हैं और KHOJ (खोज) तथा Sabrang (सबरंग) की स्थापक हैं. उनके पति, जावेद आनंद, जो खुद एक पत्रकार हैं, न केवल CJP के पदाधिकारी हैं, बल्कि उन्होंने तीस्ता सेतलवाद के साथ सबरंग की स्थापना भी की है. साथ ही वह ‘इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी‘ के संस्थापक सदस्य भी हैं. दोनों ही एक ऐसे समाज की परिकल्पना करते हैं जहाँ लोग बराबर और खुशहाल हों, जहाँ एक-दूसरे के लिए सद्भाव हो और जहाँ न्याय के द्वार सभी के लिए, उनकी जाती, धर्म, लिंग, धन के बावजूद, बराबर खुले हों.

इसी सोच से उन्होंने Communalism Combat नामक मैगज़ीन शुरू की और CJP, Sabrang और Khoj की स्थापना की.

२००२ में गुजरात में भड़के मुसलिम विरोधी दंगों में इस दंपति ने गुजरात पुलिस के एक भाग के आपराधिक आचरण का पर्दाफाश किया. तब से ही उनके खिलाफ एक ज़हरीला और बदले की मंशा से प्रेरित अभियान शुरू कर दिया गया था. दोनों ने इस दौरान काफी ऐसे शक्तिशाली नेताओं की पोल खोली जिनके अति दक्षिणपंथी संगठनों से गहरे सम्बन्ध थे.

हालाँकि तीस्ता सेतलवाद २००४ से इस प्रकार प्रतडित की जा रहीं हैं, २०१५ में उनके पति जावेद आनंद को भी इस बवंडर में खींच लिए गया. जैसे-जैसे नफरत का दौर बढ़ता गया. जो बातें पहले गांधीनगर से निर्धारित की जा रही थी, अब वही नई दिल्ली में व्यवस्थित रूप से की जाने लगी. गुजरात पुलिस, गृह मंत्रालय और CBI, सभी को इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर तैनात कर दिया गया है. बावजूद इसके इन दोनों ने मानवाधिकार की जंग जारी रखी है.

हम कभी पीछे नहीं हटेंगे

परन्तु इन घटनाओं ने हमारे हौसले को हिलने नहीं दिया और हमने न्याय के लिए अपनी जंग जारी रखी है. यहाँ तक कि हमने अपने काम के क्षेत्रों में विस्तार किया है. अब हम चंद्रशेखर आज़ाद जैसे लोकप्रिय युवा दलित नेता, जो की रावण के नाम से प्रसिद्ध हैं, उनको जेल से छुडवाने की कोशिश कर रहे हैं. वे जून २०१७ से झूठे इल्ज़ामों के कारण क़ैद हैं. उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) भी लगा दी गयी है जिसके कारण उनके कारावास की कालावधि बार बार बढ़ा दी जाती है.

इसके अलावा हम उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में झूठे मामलों में फंसे आदिवासी वन श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं. सोनभद्र में कई वर्षों से भूमि अधिकारों के लिए एक लम्बा और शांतिपूर्ण संघर्ष चल रहा है, पर वहां के वनवासियों पर बार बार तरह तरह के अत्याचार होते रहते हैं.

हमारे चार स्तंभों में अल्पसंख्यक अधिकार, बाल अधिकार, आपराधिक न्याय सुधार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है. आप यहां हमारे काम के बारे में अधिक पढ़ सकते हैं और सदस्य बन सकते हैं.

बेबुनियाद आरोप, बेतुकी रणनीतियां

उदाहरण के लिए अभी का मामला देखें. KHOJ परियोजना 2010 में शुरू हुई. मगर इस से पहले की जनवरी 2014 में हमारे बैंक अकाउंट एक दुसरे झूठे केस के कारण ज़ब्त हो जाते, KHOJ परियोजना समाप्त हो चुकी थी. कथित गबन का सबूत बैंक अकाउंट में है. अगर वही बैंक अकाउंट ज़ब्त हो गए हैं, तो सेतलवाद द्वारा सबूतों के साथ कैसे छेड़छाड़ संभव है? यह पुलिस द्वारा उनको हिरासत में लिए जाने की महज़ एक चाल है. आम तौर पर इस तरह के मामलों में ऐसी पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं होती. इसलिए यातना और धमकी जैसी रणनीतियों का इस्तेमाल करने के लिए इस हिरासत का दुरुपयोग करने की बहुत संभावना है. इसलिए हवालात में होने वाली पूछताछ सिर्फ पूछताछ तक नहीं सीमित रहेगी और यह एक प्रकार से यातनाओं और यहाँ तक कि मौत का भी निमंत्रण है.

दुर्भावना पूर्ण प्रचार प्रसार को सामान्यतः एक-तरफा न्यूज़ के माध्यम से फैलाया गया है. ऐसा बार-बार हुआ है कि मीडिया ने दोनों पक्ष न रखते हुए बस ऐसा पक्ष सामने रखा है जिससे तीस्ता सेतलवाद की बदनामी हुई है.

गौर तलब है की सेतलवाड़ और आनंद कभी भी कुच्छ छिपाने की कोशिश नहीं की. उन्होंने व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से अपने खिलाफ सारे आरोपों का जवाब दिया है, और अपने खातों को सार्वजनिक किया है. उन्होंने एक -एक जांच प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग किया है और क्राइम ब्रांच के मांगे हुए सारे दस्तावेज़ उनको दिए हैं.

सीजेपी और सबरंग सेतलवाद और आनंद के खिलाफ लगे सभी झूठे आरोपों का खंडन करते हैं. हम यह स्पष्ट रूप से बताना चाहेंगे कि सभी गबन, पैसों की हेरा फेरी, गवाहों को झूठी पट्टी पढ़ने, झूठे हलफनामे दाखिल करने, सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ लेख प्रकाशित करने या गुजरात दंगे के उत्तरजीवी लोगों के नाम पर आए हुए दान का गलत इस्तेमाल या व्यक्तिगत विलासिता पर खर्च, यह सभी आरोप गलत, बेबुनियाद और सत्य से परे हैं.

CJP सभी शान्तिपसंद नागरिकों को इस संस्थागत रूप से लगातार हो रहे उत्पीड़न और मानसिक अवहेलना में हस्तक्षेप करने और उसकी निंदा करने के लिए अपील करता है. हम देश भर में रचनात्मक और शांतिपूर्ण विरोध के लिए अपील करते हैं. अपनी आवाज़ हमारे लिए ज़रूर बुलंद करें !

 

अनुवाद सौजन्य मनुकृति तिवारी और सुष्मिता

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