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CJP इम्पैक्ट: असम में महज़ 40 घंटो में जमा हुए NRC दावों के 10000 आवेदन असम के आम नागरिकों ने CJP के आह्वान पर 3 दिनों की छुट्टियों में NRC प्रभावित लोगों की सहायता के लिए खुलकर योगदान दिया

13, Dec 2018 | CJP Team

छोटे और दूरस्थ इलाकों में NRC के मसौदे से बाहर कर दिए गए लोगों को, इससे सम्बंधित दावे दर्ज करने के कार्य में सहायता प्रदान करने के लिए, CJP ने असम के लोगों से आह्वान किया. 200 से अधिक सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, शिक्षित युवा और कुछ सामाजिक संगठनों के सदस्य इस कार्य के लिए आगे आए. उन्होंने तीन दिवसीय अवकाश का लाभ उठाया और असम के अंदरूनी हिस्सों के कुछ सबसे दुर्गम इलाके के गाँवों में पहुचे. इन सभी के साथ मिलकर किए CJP के इस प्रयास का असर ये हुआ कि इन दुर्गम इलाकों में NRC दावों से सम्बंधित 10000 फ़ॉर्म भरे गए.

असम में तीन दिन लगातार छुट्टियाँ पड़ीं. शुक्रवार को गुरु नानक जयंती, इसके बाद शनिवार को लचित दिवस और फिर रविवार का साप्ताहिक अवकाश. हमारे आह्वान ने लोगों को प्रेरित किया, और इन छुट्टियों का सदुपयोग करते हुए कई लोगों ने असम के बिस्वनाथ ज़िले में स्थित बागमारी जैसे दूरदराज़ के स्थानों में जाकर, प्रभावितों की सहायता की. असम में सिटिज़न फ़ॉर जस्टिस एण्ड पीस (CJP) के आह्वान पर एकजुट होकर असाम के आम नागरिकों ने सामाजिक जिम्मेदारी के लिए उठाए अपने इस कदम से एक नया इतिहास बनाया है.

NRC के अंतिम मसौदे से 4 मिलियन से ज़्यादा लोगों को बाहर कर दिया गया है. उनमें से ज़्यादातर सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों से संबंधित हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. उनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. गुजरात में कानूनी सहायता प्रदान करने के अपने पिछले अनुभव के आधार पर अब CJP, वकीलों और स्वयंसेवकों की बहु-पक्षीय टीम के साथ यहां भी ज़रूरी कदम उठा रहा है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे ज़्यादा प्रभावित 18 ज़िले के लोगों को दावा दायर करते समय उचित एवं पर्याप्त अवसर मिल सकें. आपका योगदान, कानूनी टीम, यात्रा, दस्तावेज़ीकरण और तकनीकी ख़र्चों की लागत को थोड़ा आसान करने में हमारी मदद कर सकता है. सहायतार्थ दान कीजिए!

असम में CJP का काम

2017 में NRC का पहला मसौदा प्रकाशित होने के बाद से ही CJP, असम की परिस्थितियों पर निगरानी बनाए हुए है. इसके बाद, जून 2018 में, हमने ज़मीनी हालात जानने के लिए एक जाँच टीम भेजी. जुलाई 2018 में NRC के अंतिम मसौदे को प्रकाशित किए जाने के बाद, हमने NRC से बाहर निकाल दिए गए भारतीयों को कानूनी सहायता मुहैया कराने और उनके नाम NRC में दर्ज कराने की प्रक्रिया में मदद करने की एक अत्यंत ही विशाल चुनौती ली है. आज विभिन्न समुदायों के लगभग 500 स्वयंसेवक और लगभग 50 अभिप्रेरक वालेंटियर्स, CJP के साथ जुड़कर  पूरे राज्य में दिन-रात काम कर रहे हैं, खासकर सबसे ग़रीब और दूरस्थ इलाकों में जहां बड़ी संख्या में लोगों को NRC के अंतिम मसौदे से हटा दिया गया है.

CJP से जुड़े स्वयंसेवक सभी 2500 नागरिक सेवा केंद्रों में दावों के फॉर्म भरने की प्रक्रिया में सहायता के लिए सक्रिय और साक्षर व्यक्तियों को समुदाय के भीतर संगठित करने के लिए ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं. दावा दर्ज कराने के लिए ज़रूरी आवेदन पत्र को ठीक से भरने और सही तरीके से उसे जमा कराने के तरीके से लोगों को अवगत कराना, किस क्रम में दस्तावेज़ों को इकठ्ठा करना है इस बारे में जानकारी देना, वो कौन से ज़रूरी दस्तावेज़ हैं जिन्हें इस आवेदन पत्र के साथ जमा करना है, ऐसे कई ज़रूरी कार्य CJP से जुड़े वालेंटियर्स लगातार कर रहे हैं. प्रशिक्षण के अलावा युवाओं, छात्रों और शिक्षित लोगों के सशक्तिकरण के लिए जानकारी की सामग्री वितरित करना भी इन कार्यों में शामिल है, ताकि सामान्य नव-साक्षर और मजदूर वर्ग के व्यक्ति NRC के साथ दावे के फॉर्म भरने की जटिल प्रक्रिया को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें.

इसके अलावा, एक सक्षम और सशक्त टीम गुवाहाटी में CJP के टोल फ्री हेल्पलाइन सेंटर का प्रबंधन भी कर रही है. दुनिया के किसी भी हिस्से से, किसी भी व्यक्ति के द्वारा कभी भी यहां कॉल करके NRC दावे के फॉर्म भरने के संबंध में सभी संभावित जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं, जो भी यहां कॉल करता है उसे हर ज़रूरी सलाह और सहायता दी जाती है. इन संयुक्त और बहुपक्षीय प्रयासों ने असम के लोगों के बीच जन जागरूकता पैदा की है.

CJP के अभियान का प्रभाव

21 नवंबर को CJP की सचिव तीस्ता सेतलवाड़ और हमारी असम परियोजना के समन्वयक ज़मशेर अली एक साथ एक फेसबुक लाइव प्रसारण में दिखाई दिए. इस प्रसारण में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) में दावा दर्ज कराने की प्रक्रिया के उन पहलुओं की जानकारी दी गई जिसके कारण कई लोगों को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हमारे इस प्रसारण के एक दिन बाद ही NRC राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने सभी स्थानीय NRC अधिकारियों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और विवाहित महिलाओं के निवास निर्धारण के विषय में एक नोटिस जारी किया.

सप्ताहांत में ऊपरी उत्तर असम के विश्वनाथ जिले के बागमारी गांव में CJP के प्रयासों का सबसे बड़ा प्रभाव महसूस किया गया था. इस कड़ी मेहनत और CJP के द्वारा की जा रही लगातार अपील के प्रतिफल में ही लगभग 200 सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ (एएएमएसयू) के छात्र व कार्यकर्ता, विभिन्न व्यक्ति और अन्य युवा CJP के साथ आए और उन्होंने अवकाश के अपने तीन दिनों का भरपूर उपयोग करते हुए ग़रीब अशिक्षित लोगों की सहायता की, ताकि छुट्टी के इन तीन दिनों में NRC दावों से जुड़े अधिक से अधिक से आवेदन जमा किए जा सकें. लगभग 200 लोगों की एक टीम जिसमें CJP के सदस्य, एएएमएसयू नेता, इन समुदायों के स्वयंसेवक, और अन्य कई लोग शामिल थे, ने मिलकर 60 अलग अलग टेबल लगाए, जहां ये सारे लोग लगातार फॉर्म भरने और सलाह देने का कार्य कर रहे थे.

बागमारी से CJP के स्वयंसेवक केरामत अली ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि “इस क्षेत्र में 76% लोगों के नाम NRC के अंतिम मसौदे से हटा दिए गए हैं, बावजूद इसके कि यहां के लोगों के पास सभी ज़रूरी दस्तावेज़ मौजूद हैं. ये अशिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण हुआ है.  इसका मतलब यह है कि शुरुआती चरण में बड़ी संख्या में लोग NRC में अपनी दावा-आपत्तियों को सही तरीके से जमा नहीं कर पाए. यह एकमात्र कारण था जिसके कारण NRC के अंतिम मसौदे से बड़ी संख्या में लोगों के नाम हटा दिए गए थे” उन्होंने ये भी कहा कि, ” NRC से सम्बंधित जानकारियां देने के लिए CJP द्वारा चलाए जा रहे टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर पर बात करने और जानकारी लेने के बाद, इस बार मैं और मेरे दो अन्य साथी CJP के साथ स्वयंसेवक की तरह जुड़े थे. फिर हम लोगों ने अपने इलाके में कार्य करना शुरू किया और CJP के अभियान का प्रचार भी करते रहे. CJP और उसके इस अभियान ने ही नागरिकों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे ग़रीब और वंचित वर्ग के लोगों की सहायता के लिए बड़े पैमाने पर आगे आएं.”

उन्होंने आगे कहा, “शुक्रवार 23 नवंबर को इस विशाल आयोजन के पहले दिन हमने NRC दावे के फॉर्म भरने के का कार्य करने वाले स्वयंसेवकों के लिए 60 टेबलों की व्यवस्था की गई गई थी. प्रत्येक टेबल में फॉर्म को भरने के लिए कम से कम तीन व्यक्ति उपलब्ध थे. इसके अलावा 20 सदस्यों का एक अतिरिक्त डेस्क भी लगाया, जहां सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों की जाँच, फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही की जा सके, जिससे गलतियों की संभावना कम से कम हो.”

CJP के वालेंटियार्स बिस्वनाथ ज़िले के महासचिव और एएएमएसयू के सदस्यों ने कहा कि “शुक्रवार को काम धीमा था, क्योंकि NRC दावे के फॉर्म भरने के लिए पहली बार कई लोगों ने भाग लिया था. उस दिन हमने 1400  स्लिप्स जारी किए (जिससे लोगों की संख्या जानने में मदद मिली). शनिवार को जारी किए गए स्लिप्स की संख्या बढ़कर 7000 हो गई थी. इनमें से 90% फॉर्म भरे गए थे”

एएएमएसयू के सदस्य, CJP के स्वयंसेवक और बागमारी लोकल कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष इरफान अली ने कहा, “यहां तक कि जब लोग पंचायत चुनाव में व्यस्त होते हैं, तो ये लोग दावा आवेदन भरने में व्यस्त होते हैं. NRC के अंतिम मसौदे से चालीस लाख लोगों को बाहर कर दिया गया है. हमें ये जानकारी मिली कि पिछले 60 दिनों के दौरान केवल 5 लाख दावा आवेदन जमा किए गए हैं. हमारे पास केवल 20 दिन हैं,जिनमें से केवल 11 ही  कार्य दिवस हैं. इस छोटी अवधि में हमें पैंतीस लाख दावा आवेदन जमा करने होंगे. यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और हमें समय सीमा के भीतर अपना काम पूरा करना होगा. अगर कोई दावा आवेदन जमा करने में विफल रहता है तो उसे सीधे विदेशी घोषित किया जा सकता है. “

इरफान अली नाम के एक अन्य स्थानीय युवा ने वादा किया कि “हमारे इलाके में दावा फॉर्म भरने और जमा करने का कार्य पूरा होने के बाद, हमारे युवा और छात्र परेशान लोगों की मदद के लिए राज्य के अन्य हिस्सों में जाएंगे.”

इस प्रयास का लोगों पर सकारात्मक प्रभाव हुआ  

बागमारी के इस संयुक्त प्रयास के अनुभव के आधार पर, सोनीतपुर ज़िले के छात्रों, और सरकारी कर्मचारियों ने सोनितपुर जिले के तेजपुर के पास सोलमार में ऐसा ही एक मेगा कार्यक्रम शुरू किया. 24 नवंबर को तेजपुर में आयोजित इस मेगा शिविर में 20 टेबल लगाने की व्यवस्था की गई थी, यहां NRC दावों के लगभग 3000 फॉर्म भरे गए थे. इन दो कार्यक्रमों ने लोगों में सकारात्मक ऊर्जा पैदा की है, और राज्य के अन्य हिस्सों से भी इस तरह के कार्यों के लिए अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.

एक स्थानीय शिक्षक और लेखक, नूर हुसैन ने कहा, “’विश्वनाथ जिले के बागमारी के लोग ने आज इतिहास बना दिया है. NRC दावे के आवेदनों को भरने के लिए परेशान लोगों की मदद के लिए आज सरकारी कर्मचारियों, शिक्षित युवाओं, एएएमएसयू कार्यकर्ताओं सहित लगभग 200 लोग खुलकर सामने आए. ये सब सिटिज़न फ़ॉर जस्टिस एण्ड पीस (CJP) के द्वारा लोगों से किए सहायता के आह्वान के कारण ही संभव हो पाया.”

इस कार्यक्रम की योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन का कार्य CJP के वालेंटियर केरामत अली, बहरूल इस्लाम (जो विश्वनाथ जिला कमिटी के स्थानीय सचिव, एएएमएसयू के सदस्य भी हैं) और इरफ़ान अली (कार्यकारी अध्यक्ष, बागमारी स्थानीय समिति, एएएमएसयू) के द्वारा किया गया. इस आयोजन में CJP की ओर से सोनितपुर के मेजर मुबारक अली, गुअहाटी उच्च न्यायालय के वकील शाईज़ुद्दीन अहमद, रिहान अख्तर, ज़मशेर अली प्रबंधक व पर्यवेक्षक की भूमिका में शामिल रहे.

 

अनुवाद सौजन्य – अनुज श्रीवास्तव

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