विस्थापन प्रतिरोधी कार्यकर्ता दामोदर तुरी को 15 फरवरी को रांची से गिरफ्तार किया गया था. मार्च 23 को तुरी और उनके साथियों को एकान्त कारावास में डाल दिया गया था. एकान्त कारावास में कक्ष अँधेरे, बिना हवा के और बेहद गंदे होते हैं. तुरी 27 मार्च, 2018 से भूख हड़ताल पर गए, हालाँकि अब वे अनशन पर नहीं हैं.
समर्थन के लिए अपील करते हुए एक बयान में लोकतंत्र बचाओ मंच के कार्यकर्ताओं ने कहा कि, “मौत की सजा के लिए दोषी कैदियों के लिए भी एकान्त कारावास, सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्णयों में निषिद्ध किया है, संवैधानिक बेंच निर्णय के अनुसार, विशेष रूप से सुनील बत्रा मामलों में ” एक और गंभीर तथ्य यह है कि इन कैदियों का ‘अपराध’ अभी तक साबित नहीं हुआ है क्योंकि वे अभियोगाधीन हैं.
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दामोदर तुरी की गिरफ्तारी का कारण
दामोदर तुरी विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन (VVJVA) के संयोजक हैं, जिसकी छत्रछाया में पूरे राज्य के 30 संगठन है, जो ग्रामीणों के विस्थापन का विरोध करते हैं. 15 फरवरी 2018 को, जब तुरी लोकतंत्र बचाओ मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के बाद लौट रहे थे, उन्हें रांची पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. लोकतंत्र बचाओ मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने कई मुद्दों पर, विशेष रूप से मज़्दुर संगठन समिति (MSS) पर प्रतिबंध, जून 2017 में मोतीलाल बास्के,एक डोली मजदूर की फर्जी मुठभेड़ में मौत, झारखंड में पीडीएस प्रणाली में आधार से संबंधित विसंगतियों से प्रभावित मौतों पर चर्चा हुई थी. लोकतंत्र बचाओ मंच का गठन “झारखंड सरकार की बढ़ती हिंसा और लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ लड़ने” के लिए हुआ था.
दामोदर तुरी की अगुवाई में कई विस्थापन विरोधी आन्दोलन हुए हैं जिनमें छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम में हुए संशोधन और संथाल परगणा अधिनियम के खिलाफ हुए आन्दोलन शामिल हैं. सरकार इन अधिनियमों में संशोधन करके “आदिवासी भूमि पर कॉर्पोरेट का अधिकरण सहज कर देना चाहती है.” ऐसा माना जा रहा है कि तुरी की गिरफ्तारी विस्थापन के खिलाफ लोगों के आंदोलनों को कुचलने का प्रयास है.
VVJVA का प्रभाव
विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन (VVJVA) की स्थापना 2007 में भूमि, जंगल और पानी के मुद्दों पर संघर्ष करने वाले लोगों के आंदोलनों और संगठनों के मंच के रूप में की गयी थी. VVJVA ने आंध्र प्रदेश में अवैध बॉक्साइट खनन के खिलाफ नंदीग्राम, सिंगूर, पोस्को प्रतिरोध, वेदांत के खिलाफ प्रतिरोध, पोलावर बांध के खिलाफ प्रतिरोध में सक्रिय भूमिका निभाई. झारखंड में, उन्होंने इलेक्ट्रो स्टील प्लांट और जिंदल खनन योजना के मामले में बलपूर्वक भूमि अधिग्रहण और संथाल परागाना, तेनुघाट बिजली संयंत्र, बोकारो इस्पात संयंत्र, टाइगर परियोजना, बेटला में मज़बूत आन्दोलन खड़ा किया और एक मंच के तहत लोगों को संगठित करने में भूमिका निभाई. डेमोक्रेटिक अधिकार कार्यकताओं का आरोप है कि गृह मंत्रालय ने 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट में बिना किसी आधार के कहा है कि नियमगिरी सुरक्षा समिति और VVJVA दोनों एक प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) से जुड़े हुए हैं. इस रिपोर्ट की विभिन्न लोकतांत्रिक अधिकार संगठनों द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई थी.
तुरी को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?
22 दिसंबर, 2017 के झारखंड राज्य सरकार के दो पंक्ति के आदेश के माध्यम से एक पंजीकृत ट्रेड यूनियन MSS पर झूठे मामलों की एक श्रृंखला में तुरी को फंसाया गया है. इनमें से कई मामले कार्यकर्ताओं के अनुसार बेतुके और अपमानजनक आरोपों के आधार पर हैं. कार्यकर्ताओं का यह भी मानना है कि MSS पर इसलिए “प्रतिबंध” लगाया गया क्योंकि उन्होंने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 और संथाल परगना अधिनियम 1949 में भाजपा सरकार द्वारा किये संशोधन जिससे आदिवासी किसानों को अपनी भूमि और वन अधिकारों से हाथ धो लेना पड़ेगा, के खिलाफ प्रतिरोध में अहम भूमिका निभायी थी.
इसके अलावा, तुरी की पत्नी देबी और अन्य कार्यकर्ता का कहना हैं कि वह MSS के सदस्य नहीं थे, लेकिन अन्य कार्यकर्ताओं और MSS के सदस्यों के साथ मामलों में खींच लिये गये हैं. मामलों के विषय वस्तु में रूसी क्रांति का जश्न, बोकारो में MSS कार्यालय को चलाना और इसे “प्रतिबंधित” होने के दो दिन बाद भी MSS सदस्यता की बकाया जमा करना जारी रखा गया है. अमुख्य परिस्थितियां, जिनके कारण MSS पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, पर रौशनी डालते हुए, कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कोई सूचना या नोटिस जारी नहीं किया गया था, पंजीकरण रद्द करने का या प्रतिबंध लगाने के लिए न कोई सुनवाई हुई और न कोई अन्य कार्यवाही की गई थी. साथ ही, जिन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था और प्रतिबंधित होने के दो दिन बाद बकाया राशि जमा की गई थी, उन्होंने कहा कि उन्हें यह तक पता नहीं था कि उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योंकि उन्होंने समाचार पत्र नहीं पढ़े थे. MSS को औपनिवेशिक और क्रूर- आपराधिक संशोधन अधिनियम 1918 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसके अलावा, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (UAPA) के खंडों को मामले में जोड़ा गया है, हालांकि यूएपीए के तहत MSS पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया था. MSS पर प्रतिबंध लगाने से पहले किसी भी अदालत में तुरी के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं था. तब से कई संगठनों को प्रतिबंधित करने के लिए इस नीति का उपयोग किया गया है.
झारखंड एक खनिज समृद्ध राज्य है लेकिन झारखंड के स्थानीय आदिवासी लोगों के हितों को बढ़ावा देने के आधार पर 2000 में एक अलग राज्य का निर्माण किया गया जिसके बाद वे और ज्यादा गरीब हो गए हैं. वास्तव में, पिछले वर्षों में उनकी स्थिति और खराब हो गई है. वाल्टर फर्नांडीज और एलेक्स एक्का द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए एक जनजातीय असेंबली बगईचा के संयोजक फ़ादर स्टेन स्वामी ने कहा कि झारखंड में 24 लाख एकड़ भूमि अब आदिवासियों से चीन ली गई है और 19 लाख जनजातीय लोग अपनी भूमि से विस्थापित किये गए हैं. पिछले साल 2017 में, रांची में आयोजित एक निवेशक शिखर सम्मेलन में लगभग 209 समझौता ज्ञापन या MOU जिनकी कीमत तकरीबन 3 लाख करोड़ रुपये है, पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस तरह के ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जाने की बढ़ती संख्या के साथ, आदिवासियों पर विस्थापन और हिंसा का खतरा बढ़ गया है.इन परिस्थितियों में दामोदर तुरी के मनोबल को तोड़ने और झारखंड और उसके समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के कॉर्पोरेट अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष को कमजोर करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. दामोदर तुरी को पहले भी झूठे मामलों में गिरफ्तार किया गया था और बाद में बरी भी कर दिया गया था, लेकिन कार्यकर्ता इस बार विशेष रूप से चिंतित हैं. उन्होंने पूछा है, “अगर संवैधानिक प्रक्रियाओं से सरकारों को इस तरह की दंड की अनुमति है तो हमारी संवैधानिक गारंटी और लोकतांत्रिक अधिकारों का क्या शेष है?”
अनुवाद सौजन्य सदफ़ जाफ़र
Feature image courtesy Jack Fisher
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